CHHATTISGARHNATIONAL

राज्य सरकारें सस्ती चिकित्सा सुविधाएं देने में विफल! सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, दिए ये अहम निर्देश

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकारों को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि राज्य सरकारें गरीब और जरूरतमंद मरीजों को किफायती इलाज और सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने में असफल रही हैं। अदालत ने इस विफलता को निजी अस्पतालों के बढ़ते प्रभाव और उनके द्वारा मरीजों के शोषण का प्रमुख कारण बताया।

सस्ती दवाओं पर नियंत्रण की जरूरत

सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और एन. कोटिश्वर सिंह शामिल थे, ने कहा कि निजी अस्पतालों में मरीजों और उनके तीमारदारों को जबरन महंगी दवाएं खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है। कई अस्पतालों में अपने फार्मासिस्ट से ही दवाएं लेने का दबाव डाला जाता है, जिससे मरीजों को अधिक कीमत चुकानी पड़ती है।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि राज्य और केंद्र सरकारें इस गंभीर मुद्दे पर प्रभावी कदम उठाने में नाकाम रही हैं, जिससे आम नागरिकों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिए ये निर्देश

  • राज्य सरकारें सुनिश्चित करें कि निजी अस्पताल मरीजों को जबरन महंगी दवाएं खरीदने के लिए बाध्य न करें।
  • केंद्र सरकार दिशानिर्देश बनाए, जिससे निजी अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों द्वारा नागरिकों के शोषण पर रोक लगाई जा सके।
  • राज्य सरकारें प्रभावी नीतिगत निर्णय लें, ताकि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को किफायती इलाज और सस्ती दवाइयां मिल सकें।

कई राज्यों को जारी हुए थे नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने पहले इस मामले में राजस्थान, ओडिशा, बिहार, छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश समेत कई राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। राज्यों ने अपने हलफनामे में कहा कि आवश्यक दवाओं की कीमतें केंद्र सरकार के मूल्य नियंत्रण आदेशों पर निर्भर करती हैं और वे उचित मूल्य वसूलने का प्रयास करते हैं।

हालांकि, केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मरीजों को किसी भी निजी अस्पताल की फार्मेसी से दवा खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

राज्यों को दी गई अंतिम चेतावनी

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया कि वे मरीजों को सस्ता और सुलभ इलाज देने के लिए अपनी स्वास्थ्य नीतियों में जरूरी सुधार करें। अदालत ने कहा कि नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनका मौलिक अधिकार है और सरकारों को इसे सुनिश्चित करना ही होगा।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button